क्या मेरे साथ चलोगे
दोस्त ज़िन्दगी उस दरिया की तरह है
जो बहता रहता है - बहता रहता है
संपत सुनो आवाज लगाकर कान
दरिया के पानी और ज़िन्दगी के हर पल की
जो हर समय कुछ न कुछ
कहता रहता है - कहता रहता है
कभी जा के बैठो दरिया के पास
लहरे हिलोरे ले रही होगी
मत करो चेहरा उदास
मुस्कराते रहो यही कह रही होगी
किनारे की ठंडी हवा को जब तुम महसूस करोगे
भूल कर सारा दुख गम सब दूर करोगे
कहोगे दरिया से क्या मेरे साथ चलोगे
नहीं चलेगा साथ दरिया तो तुम यही कहोगे
कोई बात नहीं में फिर आउगा
फिर तुमे मनाउगा
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति |
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