क्या हो सकती है मेरी कल्पना ?

समय हो तो आप like करना comment करना आपकी मर्जी
....poem -----
क्या हो सकती है मेरी कल्पना ?
देखकर इस पानी को ,
ये बहता दरिया ,
या ठहरा पानी,
ये ठण्डी हवाये,
ये नदी की जवानी,
क्या हो सकती है मेरी कल्पना?
ये खुला आसमान ,
ये हरे हरे पेड़,
ये उभरी हुई जमीन ,
क्या हो सकती है मेरी कल्पना?
क्यों कहू कि पानी गंन्दा है ?
पानी से पवित्र कोई नहीं,
पानी से अच्छा कोई नहीं,
पानी बिना कोई नहीं,
क्या हो सकती है मेरी कल्पना?
क्यों खड़ा हूँ मै, नहीं जानता?
क्यों देख रहा हूँ मैं नहीं जानता?
क्या हो सकती है मेरी कल्पना?
क्या कुछ यादें है जो मुझे यहां तक लायी है?
क्या कोई बचपन की इच्छा अधूरी है जो
आज पानी देखकर याद आयी है ?
क्या हो सकती है मेरी कल्पना?
----
मुझे तो बस! जो अच्छा लगा चला गया
सोचता रहा क्यों खड़ा हू मैं ?
सुन रहा था पानी की कल-कल आवाज
सोच रहा थ क्या -क्या छुपा है इसमें राज?
जिन्दगी में फिर कब मौका मिलेगा ?
अपने गाँव की नदी के किनारे पर जाने का
और वहां पर बिताये पलो को आपको सुनाने का
आपका अपना सम्पत शर्मा eks- 08058924535

No comments:

Post a Comment