समझोता
कभी कभी करना पड़ता है हालात से समझोता
करना ही पड़ता है बिन चाहत की बात से समझोता
जो लिखा होता है वही होता है संपत
बिन कारण ही आदमी हँसता है या रोता
ये नादानी नहीं है और क्या है
सारा संसार एक उजडती संवरती बगिया है
जो शेर बनकर जिया है वो ही जिया है
जो कुछ भी किया है वीरो ने ही किया है
यहाँ कायर आदमी हमेशा ही रोता
क्यों की करना ही पड़ता है हालात से
समझोता
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