आज फिर कलम उठानी पड़ी 
नहीं चाहता हू उठाऊ कलम 
लेकिन रुका नहीं जाता 
दिल का दर्द ही  ऐसा है 
बिना कलम के कहा नहीं जाता 
तो सुनाता हू सुन लेना 
मगर किसी से मत कहना 
ये दुनिया है ये किसी के काम की नहीं 
यहा से सबको ही जाना पड़ता है ये किसी के काम की नहीं 
जब रावन चला गया तो राम की भी नहीं 
ये किसी के काम की नहीं 
लोग कहते है हम साथ है तुम्हारे 
पर जब जरुरत पड़ती है 
तो कोई साथ नहीं देता है प्यारे 
कहता है संपत अपना काम बनालो 
जितना कमाते हो उतना ही खालो 
अगर पास है कुछ ज्यादा तो दूसरो को
खिला लो पर अपना काम बनालो 
- आपका संपत शर्मा

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