कोशिश करो , फिर कोशिश करो 
कहो तुमे किस बात की जल्दी है 
क्या तुम्हारे  हाथो में लगी हल्दी है  
जो तुम्हे डरा है वो कोन है 
क्यों तुम्हारी जीभ मोंन  है
हर वक्त सोचो , हर घडी सोचो 
की क्या कर रहे हो , क्यों कर रहे हो 
क्या वो जरुरी है जो तुम कर रहे हो
अगर नहीं है जरुरी तो तुम उस बात से डर  रहे हो 
जो करना है जरुरी 
कोशिश करो , फिर कोशिश करो 
दिल कहेगा तुम्हारा 
ये तो इतना सरल था 
बेकार ही मेरे मन में डर था 
इसे कविता मत समझना
ये तो बात है दिल की 
बार बार पढ़ना जब घडी आये मुश्किल की 

---- आपका संपत शर्मा

1 comment:

  1. बढ़िया प्रयास | ब्लॉगजगत में स्वागत है आपका |

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