थर्ड ग्रेड के परिणाम की प्रतिक्षा में,एक परीक्षार्थी क्या-क्या झेलता है।
रोज पूरा अखबार टटोलता है 10 बार
कि कहीं कोई तो खबर होगी थर्ड ग्रेड की
ना मिलने पर खबर निराष सा हो जाता है।
फिर सोचता है पेपर तो अच्छा हुआ था
चलो आज नही ंतो कल परिणाम आयेगा।
घर वाले तिरछी नजर से देखते है,
आजकल कुछ काम नहीं करता है बेटा!
चल बारिष के दिन आने वाले है...
छत और छान की सफाई कर ले।
चल हमारे साथ खेत में थोड़ी खुदाई कर ले।
और सुन अपनी भैंस को दोपहर को पानी पिलाना मत भूलना।
इधर उधर की बातें छोड़ देना, शाम को सब्जी लाना मत भूलना।
पूछे कोई अगर क्या करता है आजकल तो बताना
मेरा तो ष्योर सलेक्षन है बाकी है रिजल्ट आना।
परन्तु क्या करुँ दोस्तों! मेरा दर्द मैं ही जानता हूँ।
इसलिए बोलता हूँ कि
सलेक्षन हो जायेगा तो बोलूंगा दिन रात पढ़ता था।
नहीं होगा तो बोलूंगा कि
हमें तो आलस्य ने लुटा, बेरोजगारी में कहां दम था।
हमारा सलेक्षन पक्का था, क्या करे एक नम्बर कम था।
इसलिए कवि सम्पत की नजर में आजकल
एक ही नजारा नजर आता है।
हर बेरोजगार लोगों को आवारा नजर आता है।
जिनको मिल गई है नौकरी सरकारी
वे अपनी अदा कुछ हट कर दिखाते है।
हम बेरोजगार है, छुप कर घर से निकलते है
और छुप कर घर चले जाते है।
और एक ही भजन गाते है कि
मेरा दर्द न जाने कोई....
बाहर से खामोष रहे मन....
भीतर-भीतर रोय.....
मेरा दर्द न जाने कोई.....
- Sampat sharma
Website is
http://www.sampatpoem.blogspot.in/
रोज पूरा अखबार टटोलता है 10 बार
कि कहीं कोई तो खबर होगी थर्ड ग्रेड की
ना मिलने पर खबर निराष सा हो जाता है।
फिर सोचता है पेपर तो अच्छा हुआ था
चलो आज नही ंतो कल परिणाम आयेगा।
घर वाले तिरछी नजर से देखते है,
आजकल कुछ काम नहीं करता है बेटा!
चल बारिष के दिन आने वाले है...
छत और छान की सफाई कर ले।
चल हमारे साथ खेत में थोड़ी खुदाई कर ले।
और सुन अपनी भैंस को दोपहर को पानी पिलाना मत भूलना।
इधर उधर की बातें छोड़ देना, शाम को सब्जी लाना मत भूलना।
पूछे कोई अगर क्या करता है आजकल तो बताना
मेरा तो ष्योर सलेक्षन है बाकी है रिजल्ट आना।
परन्तु क्या करुँ दोस्तों! मेरा दर्द मैं ही जानता हूँ।
इसलिए बोलता हूँ कि
सलेक्षन हो जायेगा तो बोलूंगा दिन रात पढ़ता था।
नहीं होगा तो बोलूंगा कि
हमें तो आलस्य ने लुटा, बेरोजगारी में कहां दम था।
हमारा सलेक्षन पक्का था, क्या करे एक नम्बर कम था।
इसलिए कवि सम्पत की नजर में आजकल
एक ही नजारा नजर आता है।
हर बेरोजगार लोगों को आवारा नजर आता है।
जिनको मिल गई है नौकरी सरकारी
वे अपनी अदा कुछ हट कर दिखाते है।
हम बेरोजगार है, छुप कर घर से निकलते है
और छुप कर घर चले जाते है।
और एक ही भजन गाते है कि
मेरा दर्द न जाने कोई....
बाहर से खामोष रहे मन....
भीतर-भीतर रोय.....
मेरा दर्द न जाने कोई.....
- Sampat sharma
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