Poem ka title hai......
दोस्तों वो कोई और नहीं भारत का किसान है।
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मेरे पास हल था, ट्रेक्टर ने छीन लिया।
मेरे पास चड़स था, मोटर ने छीन लिया।
मेरे पास बैलगाड़ी थी, ट्रोली ने छीन लिया।
मेरे पास घटी थी, चक्की ने छीन लिया।
मेरे पास कच्चा घर था, सीमेन्ट ने छीन लिया।
मेरे पास चुल्हा था, गैस ने छीन लिया।
मेरे पास बिजणा था, पंखे ने छीन लिया।
मेरा सब कुछ छीन लिया आज के विज्ञान ने।
यह बात सम्पत को बोली, भारत के किसान ने।
किसान बोला सब कुछ लूटा कर भी
मुझे कोई गम नहीं है।
आजकल जमाना भले ही आधुनिक है
पर आज भी मेरे जितना युवाओं में बल नहीं है।
वे बोले उम्र पच्चेतर के पार है मेरी,
अपना काम खुद कर लेता हूँ।
सबसे बड़ी बात है
उनको अभी भी कोई बीमारी नहीं है
बदल गया सब कुछ फिर भी चेहरे पर मुस्कान है।
मन में कोई षिकवा नहीं है उसको
दोस्तों वो कोई और नहीं भारत का किसान है।
- सम्पत षर्मा
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