विचार हर मन को उठाते है, गिराते है, सताते है।

हो सकता है यह रचना आपमें हिम्मत भर जाये।....
कविता पढ़कर आपका दिल कहे तो कमेन्ट करना लाईकर करना आपकी मर्जी
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विचार हर मन को उठाते है, गिराते है, सताते है।
दूसरों की सफलता के किस्से हम दम दबाव बनाते है।
दुःख सबका अपना-अपना, हम किसी को नहीं सुनाते है।।
कोई पूछता है हाल दिल का, तो थोड़े से मुस्करा जाते है।
विचार हर मन को उठाते है, गिराते है, सताते है।

क्या करे? कितना करे? कुछ समझ नहीं आता है।
सोचते-सोचते रात बीत जाती है दिन गुजर जाता है।।
दूसरों से ज्यादा है पास हमारे, फिर भी भीखमंगे नजर आते है।
विचार हर मन को उठाते है, गिराते है, सताते है।

आज कल दर्द की दवा वही, जो दर्द मिटाती नहीं छुपाती है।
सकारात्मकता के सागर में नकारात्मकता सामने आती है।।
दर्द तीरों से नहीं, दर्द होता है जब अपने ही व्यंग्य सुनाते है।
विचार हर मन को उठाते है, गिराते है, सताते है।

बस! दोश देकर एक दूसरे को, बेकाबू बन्दूक तानते है।
खुद को कोस-कोस बाल नोंचते है, कमी खुद की नहीं मानते है।
क्यों? हम बीते वक्त का रोना ही सबके सामने गाते है।
विचार हर मन को उठाते है, गिराते है, सताते है।

हम यह ना भूले कि दुःख भूलाने की दवा गम की शराब नहीं है,
कहता है ‘‘सम्पत’’ सचमुच आपकी कोई आदत खराब नहीं है।
अब तो भूल जाओ बीते वक्त को, छोडे हुए तीर लौट कर नहीं आते है।
विचार हर मन को उठाते है, गिराते है, सताते है।

अपनों से कहे, अपनें आप से कहे, हिम्मत भरे अपने आप में।
करे प्रयास ईमानदारी से, बहुत कुछ पाने का दम है आपमें।
हमें कोई परवाह नहीं कितने लाईक करते है कितने कमेन्ट आतेे है।
रहा नहीं जाता है दर्द किसी का देखकर, इसलिए दर्द को कलम से बताते है।
विचार हर मन को उठाते है, गिराते है, सताते है।
 - आपका अपना सम्पत शर्मा
Mob. 08058924535

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