सम्पत आज सावन है, कल पतझड़ के मौसम आयेंगे।
गुजर ने दे साथी वक्त, धीरज रख दिन बदल जायेंगे।।
जिनके घर में निकले है सूरज, शाम होते ही ढ़ल जायेंगे।
जो कठोर है रहने दे उनको पानी में ,एक दिन वो गल जायेंगे।।
अपनी समझ को ना बिगाड़ चाहे दुश्मन हो अपार।
तेरे नेक इरादें दुश्मनी को दोस्ती में बदल जायेंगे।।
माना कि आज नहीं है तेरे पास खाने को।
मेहनत कर और विश्वास रख ईश्वर पर
तू नई दिशा दे जायेगा इस जमाने को।
बस! कर्म की बगिया खिलाता जा।
एक दिन जरुर इसमें फल आयेंगे।
धीरज रख दिन बदल जायेंगे।। - सम्पत शर्मा
Mob. 08058924535
No comments:
Post a Comment