my new poem दुनियां क्यों देती है ताने?

my new poem दुनियां क्यों देती है ताने?
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जब चूमती है सफलता कदम हमारे, तब बहुत अच्छा लगता है।
तब हो जाते है सब तरह से वारे न्यारे, बहुत अच्छा लगता है।।
कहानियाँ बन जाती बिगड़ी हुई नोंक झोंक की बातें, बहुत अच्छा लगता है।
जैसे कि रात की सब्जी सुबह खाते, टूटी बाल्टी से नहाते है।
अपनों के लिए जब हम ख्वाब सजाते, तब बहुत अच्छा लगता है।
दर्द नहीं है हमको कि दुनियां क्यों देती है ताने?
दुनियां तो हमें सिखाती है कि हम खुद की शक्ति को पहचाने।
सत्य यही है खुद को पहचानना ही जीत है हमारी।
खुद को प्रतिकूलता में निखारना ही जीत है हमारी।।
हाँ दर्द होता जब कोई हमसे पहले सफलता पाता है।
परन्तु यह भी सत्य है कि झोपड़ी जल्दी बन जाती है।
और महल बनाने में समय लग जाता है।
हम हार भी गये तो निराश नहीं होना।
जिन्दगी बहुत लम्बी है विश्वास नहीं खोना।
बनाना है अगर जीवन सफल तो बीज प्रेम के उगाना।
जो कुछ मिले जितना मिले माँ बाप की सेवा में लगाना।
‘सम्पत’ क्या इसके जैसे बहुत से मिलेंगे हे साथी....
याद रखना खुद का अनुभव भले ही मुझे भूल जाना ....
मुझे भूल जाना - आपका अपना सम्पत शर्मा
Mob. 08058924535


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